शनिवार, 2 नवंबर 2013

इक दीप नया लिख दूँ

1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा 
1
हों खुशियों की खीलें 
दम-दम-दम दमके 
हर मन , मुख ,कंदीलें |
2
प्रिय ! प्रीत लगे प्यारी 
दीपक - बाती हम 
ये दीवाली न्यारी |
3
यूँ मधुर रहें घड़ियाँ 
मुख मुस्कानों की 
खिलती हों फुलझड़ियाँ |
4
मैं गीत नया लिख दूँ 
दें वर जग जननी 
इक दीप नया लिख दूँ |
-0-
2-कृष्णा वर्मा
1
झिलमिल जगमग लड़ियाँ
बन्दनवार हँसें
खुशियों की फुलझड़ियाँ।
-0-
3-डॉ सरस्वती माथुर
1
झिलमिल करता तारा
काली रातों में
दीपों का उजियारा l
-0-
4- ज्योतिर्मयी पन्त
1
छम- छम लछमी बरसे
सबके घर खुशियाँ
कोई अब  ना तरसे .
2
सज दीपों की लड़ियाँ
बन्दनवार बँधे
झरती  हैं फुलझड़ियाँ.
 -0-
5- सुनीता अग्रवाल
1
हरना  पथ का हर तम
बन कर दीपक तुम
बाती बन जाएँ बाती हम 
-0-
6- शशि पुरवार
1
फिर आयी दीवाली
झिलमिल दीप जले
झूम रही हर डाली .
2
कण- कण  है में बिखरी 
दीपों की आभा
यह रजनी भी निखरी .
3
रंगोली द्वार खिली 
राह तके लड़ियाँ
घर खुशियाँ आन मिली।
4
गूँज रही किलकारी
झूम रही बगिया
ममता भी बलिहारी

-0-

1 टिप्पणी:

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

jhilmil deepo ke parv ko prastut karti huyi .. bhawpurn mahiya ... sabhi rachna karo ko haardik badhayi
evam kamboj bhaiya or hardeep di ka haardik dhanywaad mahiya likhne ka ye mera pahla prayas the kamboj bhaiya ji ke margdashan me sikhne ki ksis ki .. mera mahiye prakashit karne ke liye dono ka haardik dhanywaad