गुरुवार, 21 नवंबर 2013

मन में विष भरा



ताँका    
1-पुष्पा मेहरा              
1
सूरज तपे
चाँद को प्रकाश दे
कृतघ्न चाँद
जब भी मौका पा
सूर्य को ही छुपाए
2
 मौन हो खड़ी
 मगन बक-पंक्ति
 मन - लाप
 केवल मीन-राग
 न तो बाजा न ताल ।
3
 वाणी अमृत
 मन में विष भरा
 प्यार में अंधा
 भेद न जान पाया
 धोखे पे धोखा खाया ।
-0-
2-डॉ अनीता कपूर
1
 ये जो अपने
बनते हैं यूँ ख़ास
औढ़े चादर
ऊपर से उजली
अंदर दागदार ।
2
 चारों तरफ
उग आए है रिश्ते
गिरगिटों -से
संवेदनाओं -लदी
लताएँ मर रही ।
-0-
3-डॉ सरस्वती माथुर
 1
परायापन
घनी पीड़ा दे गया
मन में एक
जर्द- सा दर्द देके
नश्तर चुभो गया !
2
स्वार्थघृणा का 
 देखो तो  बोलबाला  
आया समय
है कितना  निराला  
गैर से  रिश्ता आला!
-0-

7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

bahut sundar…., jeevan ke kapati paksh ko ujagar karte huyi sabhi rachnayen ek se ek behtareen ….

चारों तरफ
उग आए है रिश्ते
गिरगिटों -से
संवेदनाओं -लदी
लताएँ मर रही ।….

waah ! Anita ji kya bat kahi hai .

Dr.Anita Kapoor ने कहा…

पुष्पा मेहरा जी, सरस्वती जी दोनों को तांका द्वारा सुंदर भावों को उतारने के लिए बधाई...सारे तांके सुंदर हैं।

Manju Gupta ने कहा…

आज समाज की हकीकत को तांका मैं उत्कृष्टताओं के साथ बयां किया . बधाई

Pushpa mehra ने कहा…

apanepan ki aad mein chal karna har tarah ke rishton se vishwash hatata hai.mathur ji aur anita ji bhavavyakti ke liye badhai.
pushpa mehra.

ज्योति-कलश ने कहा…

पग पग पर मिलती वंचना और कुटिलताओं की प्रभावी प्रस्तुति ...बहुत बधाई डॉ.अनीता जी ,सरस्वती जी और पुष्पा मेहरा जी !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर तांका सभी के...खास तौर से ये तीन...
वाणी अमृत
मन में विष भरा
प्यार में अंधा
भेद न जान पाया
धोखे पे धोखा खाया ।

ये जो अपने
बनते हैं यूँ ख़ास
औढ़े चादर
ऊपर से उजली
अंदर दागदार ।

परायापन
घनी पीड़ा दे गया
मन में एक
जर्द- सा दर्द देके
नश्तर चुभो गया !
आप तीनो को बधाई...|

प्रियंका

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर तांका सभी के...खास तौर से ये तीन...
वाणी अमृत
मन में विष भरा
प्यार में अंधा
भेद न जान पाया
धोखे पे धोखा खाया ।

ये जो अपने
बनते हैं यूँ ख़ास
औढ़े चादर
ऊपर से उजली
अंदर दागदार ।

परायापन
घनी पीड़ा दे गया
मन में एक
जर्द- सा दर्द देके
नश्तर चुभो गया !
आप तीनो को बधाई...|

प्रियंका