रविवार, 10 अगस्त 2014

यह धागा पावन है



शशि पाधा
1
यह धागा पावन है
उत्सव राखी का
सब का मनभावन है ।
2
कुल रीत निभाई है
कितने चाव लिये
बहिना घर आई है ।
3
बहिना तो गुड़िया -सी
अब भी यह लगती
खुशियों की पुड़िया- सी ।
4
रोली औ चन्दन है
पूजन थाली में
मंगल अभिनन्दन है ।
5
मन में झंकार  बजे
भैया के माथे
यह टीका खूब सजे ।
6
कैसी मजबूरी है
माँ के अगना से
मीलों की दूरी है ।
7
अब के जो आना तू
वादा कर बहिना
जल्दी ना जाना तू ।
8
नैहर की गलियाँ हैं
कैसे छोडूँगी
केसर की कलियाँ हैं ।
-0-
2- डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
ये राखी के धागे
सुख की किरण बनें
फिर दुख का तम भागे
2
दमके नैहर मेरा
खूब सजे भाभी
शृंगार अमर तेरा
3
राखी पे बलिहारी
फूलों- से महके
भैया की फुलवारी
-0-
3-सुदर्शन रत्नाकर
1
ये प्यार अनोखा है
राखी- सा पावन
बन्धन  ना देखा है !
2
ये प्यार –भरे रिश्ते
टूहीं पाएँ
मुश्किल से हैं  मिलते ।

4 टिप्‍पणियां:

sushila ने कहा…

बहिना तो गुड़िया -सी
अब भी यह लगती
खुशियों की पुड़िया- सी ।

6
कैसी मजबूरी है
माँ के अँगना से
मीलों की दूरी है ।

8
नैहर की गलियाँ हैं
कैसे छोडूँगी
केसर की कलियाँ हैं ।

बहुत सुंदर और सुमधुर माहिया हैं शशि जी। बधाई !

ज्योत्स्ना जी और सुदर्शन जी के माहिया भी बहुत अच्छे लगे।

सभी को रक्षापर्व की बधाई !

ज्योति-कलश ने कहा…

'खुशियों की पुड़िया' , झंकार ,'नैहर की गलियाँ ',पावन बंधन ' क्या कहिए ...बहुत सरस ,मोहक , अनुपम माहिया हैं ...हार्दिक बधाई शशि दी एवं सुदर्शन दी ....शुभ कामनाएँ ..सादर नमन !

Jyotsana pradeep ने कहा…

shashi ji ,jyotsna ji aur sudarshan ji ...aapke sab ke mahiya ne mann anandit kar diya....badhai sabhi ko

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत कोमल अहसासों से परिपूर्ण हैं ये सब माहिया...हार्दिक बधाई...|