बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

683



सपना मांगलिक

1
सबने ही ठुकराया

गम बस अपना था

साथ उसे ही पाया ।

2

आखिर कुछ तो कहता

रह न सही दिल में

इन आँखों में रहता ।

3

पाकर सब खोती हूँ

तन्हा रातों में

अक्सर मैं रोती हूँ ।

4

पल भर का डेरा है

कल उड़ जाना है

जग रैन बसेरा है ।

5

दिल कहता बेचारा

मैं कुछ नादाँ हूँ

थोड़ा- सा आवारा ।

6

नजरों के पैमाने

आये लौट यहीं

जो कल थे मयखाने ।

7

मेरा दिल बहला दे

आज डुबा खुद में

मुझको पार लगा दे ।

8

अब कुछ न मुझे भा

बस पन्थ निहारूँ

काश कि तू आ जाए।

9

गीत मधुर गाएँगे

इश्क मिटा दे तू

हम प्रीत निभाएँगे ।

10


वो दर्द भुलाता है

लोग समझते हैं

मस्ती में गाता है ।

11

भूल गए मयखाने

पी आये जबसे

नजरों के पैमाने ।

12

माँग रही कुछ रब से

उस भोलेपन ने

दिल जीत लिया बसे ।

-0-

14 टिप्‍पणियां:

मेरा साहित्य ने कहा…

माँग रही कुछ रब से
उस भोलेपन ने
दिल जीत लिया जबसे ।

bahut khoob
rachana

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

वाह! सभी माहिया बहुत-बहुत सुंदर!
हार्दिक बधाई सपना जी!!!

~सादर
अनिता ललित

Smanglik ने कहा…

धन्यवाद अनीता जी और मेरा साहित्य .सपना मांगलिक

Amit Agarwal ने कहा…

बहुत सुन्दर रचनाएँ!
सपना जी, शुभकामनायें!!

Pushpa mehra ने कहा…

sabhi mahiya bahut sunder hain. sapna ji badhai .


pushpa mehra

Manju Gupta ने कहा…

पल भर का डेरा है
कल उड़ जाना है
जग रैन बसेरा है ।
कितनी हकीकत सरलता से भावों की अभिव्यक्ति है , लेकिन इंसान तो आखिरी डीएम तक मोह - माया के जाल में फंसा रहता है .
सभी लाजवाब

Anita Manda ने कहा…

वाह सपना जी बहुत सुंदर माहिया लगे। बधाई

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-02-2016 को वैकल्पिक चर्चा मंच पर दिया जाएगा
धन्यवाद

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

सपना जी यूँ ही लिखती रहिये .शुभकामनाएं.

Gunjan Garg Agarwal ने कहा…

वाह सपना जी बहूत ही खूबसूरत सभी माहिया ,,,,,,बधाई आपको

Jyotsana pradeep ने कहा…

sabhi mahiya bahut sunder hain. sapna ji badhai .

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

bahut khub! bahut bahut badahi..

ज्योति-कलश ने कहा…

sabhi maahiyaa bahut sundar ..haardik badhaaii !

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत अच्छे माहिया...हार्दिक बधाई...|